- Over 50gw of solar installations in india are protected by socomec pv disconnect switches, driving sustainable growth
- Draft Karnataka Space Tech policy launched at Bengaluru Tech Summit
- एसर ने अहमदाबाद में अपने पहले मेगा स्टोर एसर प्लाज़ा की शुरूआत की
- Acer Opens Its First Mega Store, Acer Plaza, in Ahmedabad
- Few blockbusters in the last four or five years have been the worst films: Filmmaker R. Balki
महाराणा प्रताप के शौर्य और साहस की गाथा से गूंजा आसमां
दिल्ली पब्लिक स्कूल इंदौर के वार्षिक उत्सव समारोह मेराकी में हुआ राणा-द इन्विसिबल वॉरियर का मंचन, मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए राज्य ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह
इंदौर. महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एक वंदनीय अपराजेय योद्धा हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना कर अपने स्वाभिमान को जीवित रखा और अपने आत्मबल के आधार पर इस देश की माटी को तथा हमें गौरवान्वित किया। हम उन्हें सादर नमन करते हैं।
उक्त विचार दिल्ली पब्लिक स्कूल में आयोजित 17वें वार्षिक उत्सव समारोह में मुख्य अतिथि मप्र शासन के ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह ने कहे। समारोह में मौजूद विशेष अतिथि राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री, भारत सरकार श्री भरत शर्मा, एयरपोर्ट डायरेक्टर श्रीमती आर्यमा सानयाल व जेएसडब्ल्यूएस चेयरमैन श्री हरिमोहन गुप्ता, जॉइंट सेक्रेटरी श्री अभिषेक मोहन गुप्ता, डायरेक्टर ऑपरेशन्स श्री फैसल मीर खान का स्वागत डीपीएस इंदौर प्रिंसिपल श्री अजय कुमार शर्मा ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में 175 बच्चों ने संगीत की सुमधुर प्रस्तुति दी। खेल और शिक्षा के क्षेत्र में देश-विदेश में अपना परचम लहराने वाले छात्र-छात्राओं को श्री गुरुदेव गुप्त ऑल राउंडर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। महाराणा प्रताप पर आधारित नृत्य नाटिका में 400 से अधिक बच्चों ने अपनी अदाकारी से उनके जीवन की महागाथा सुनाई।
प्रस्तुत नाटिका में महाराणा प्रताप की शूरवीरता व पराक्रम उनके त्याग संघर्ष और समर्पण की कहानी को आद्योपांत चित्रित किया गया। इसमें कक्षा छठी से 12 वीं तक के बच्चों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में वाइस प्रिंसिपल श्रीमती ज्योति नांबियार, हेडमिस्ट्रेस श्रीमती माधवी भाले सहित स्टाफ व विद्यार्थियों के पालक मौजूद थे।
8 भाग में प्रस्तुत किया नाटक
नाटिका 8 भागों में विभक्त थीं, जिसमें प्रताप के अलग-अलग चरित्र को दर्शाया गया। महाराणा प्रताप की भीलों के साथ मित्रता, उदय सिंह द्वारा जगमल का मेवाड़ में राज्याभिषेक, भीलों द्वारा उत्तराधिकारी के रूप में प्रताप का गोगुंदा में राजतिलक, अकबर का दरबार व मानसिंग के द्वारा भेजी गई संधि को प्रताप द्वारा अस्वीकार करना, महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी का युद्ध तथा युद्ध के बाद पुनः अनेक राज्यों पर महाराणा प्रताप का शासन स्थापित कर मातृभूमि का गौरव बढ़ाकर मेवाड़ की जनता की सेवा करना आदि विषयों का भावपूर्ण मंचन किया गया।